आईये जानते है क्या है एकल स्वामित्व व्यापारी पध्दत क्या है? (Sole Proprietorship) इसकी पंजीकरण प्रकीया, क्या है इसके लाभ, क्या है इसके नुकसान, और इनमे कौन कौनसे रेजीस्ट्रेशन की जरुरत होती है।
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एकल स्वामित्व व्यापारी पध्दत क्या है? (What Is Sole Proprietorship?)
सबसे पहले समझते है क्या है एकल स्वामित्व व्यापारी पध्दत जिसे हम (Sole Proprietorship Business) भी कहते है। तो भारत में एकल स्वामित्व व्यापार प्रकार जिसे हम (प्रोपराइटरशिप) भी कहते है ये एक प्रकार की अपंजीकृत व्यावसायिक इकाई है जिसका स्वामित्व, प्रबंधन और नियंत्रण एक व्यक्ति द्वारा किया जाता है। असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे सूक्ष्म और लघु व्यवसाय भारत में एक स्वामित्व के रूप में पंजीकरण करना पसंद करते हैं। भारत में एकल स्वामित्व (प्रोपराइटरशिप) शुरू करना बहुत आसान है क्योंकि इसमें व्यवसायों के संचालन के लिए बहुत कम नियामक अनुपालन हैं। प्रोपराइटरशिप पंजीकरण उन उद्यमियों के लिए आदर्श है जो बहुत कम ग्राहकों के साथ छोटे व्यवसायों के लिए व्यवसाय में उतर रहे हैं। एकमात्र स्वामित्व का दायित्व सीमित है और उनका भी स्थायी अस्तित्व नहीं है।
एकल स्वामित्व व्यापारी पध्दत कौन है? (Who Is Sole Proprietorship?)
किसी भी व्यवसाय का एक हि व्यक्ती जो एकमात्र स्वामित्व का मालिक होता है, उसे व्यवसाय के समान ही एक इकाई के रूप में पहचाना जाता है। चूंकि एकमात्र व्यक्ती व्यवसाय का मालिक होता है, इसलिए वह कंपनी के सभी राजस्व का हकदार होता है। एकमात्र स्वामित्व पूरी तरह से मालिक के नियंत्रण में है। इसलिए, वह कंपनी के लिए निर्णय लेता है।
एकमात्र मालिक के रूप में व्यवसाय चलाने के लिए कुछ लाइसेंस और परमिट की आवश्यकता होती है। लाइसेंस उद्योग, राज्य और इलाके पर निर्भर करेगा।
भारत में एकल स्वामित्व वाली व्यापारी पध्दत को पंजीकृत कैसे करें? (How to register a sole proprietorship in India?)
सर्वप्रथम भारत में एकल स्वामित्व शुरू करना बहोत आसान है यदि सभी प्रकार का अनुपालन आप ठीक से पूर्ण किया जाये।
- सर्वप्रथम आपको जो भी व्यवसाय करना है उस उपयुक्त व्यवसाय के नाम पर निर्णय लें।
- जहा आपको व्यवसाय करना है उस निर्दिष्ट एक उपयुक्त व्यावसायिक स्थान का चयन किया जाना चाहिए।
ये दोनो भी चीजे होने के बाद आपको निम्नलिखित व्यावसायिक पंजीकरण करना अनिवार्य है।
दुकान और प्रतिष्ठान पंजीकरण (Shops and establishment registration)
एकल स्वामित्व वाली व्यापारी पध्दत में सबसे पहले आपको अपने दुकान या प्रतिष्ठान का पंजीकरण करवाना अनिवार्य होता है ऐसे करणे के लिये इसमें सभी प्रकार की व्यावसायिक संस्थाएं जैसे दुकानें, रेस्तरां, वाणिज्यिक प्रतिष्ठान, खुदरा व्यापार / व्यवसाय, लाभ कमाने वाले संगठन, सार्वजनिक मनोरंजन आदि शामिल होतें हैं। कोई भी व्यावसायिक प्रतिष्ठान चाहे वो पूरी तरह से क्रियाशील हो या नहीं लेकीन, अपने व्यवसाय को पंजीकृत करवाना आवश्यक होता है। इसको स्थानीय नगर निगम के जरीये लाइसेंस जारी किया जाता है और यह प्रतिष्ठान में कर्मचारियों की संख्या पर भी निर्भर करता है।
उद्योग आधार पंजीकरण (MSME Registration)
एकल स्वामित्व वाली व्यापारी पध्दत में दुसरा सबसे महत्वपूर्ण है उद्योग आधार पंजीकरण जिसे (MSME Registration) भी कहते है, उद्योग आधार पंजीकरण भारत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के व्यवसायों को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006 के तहत प्रदान किया जाता है।
उद्योग आधार पंजीकरण प्राप्त करने की प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन है। उद्योग आधार पंजीकरण के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं:
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के साथ कुशलतापूर्वक प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनाना;
- बेरोजगारी और गरीबी से संबंधित समस्याओं से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के विकास को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देना।
- विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ लघु उद्योग इकाइयों तक एक साथ पहुँचाना।
- छोटे उद्योगों को बड़े उद्योगों के हाथों वित्तीय उत्पीड़न से बचाना।
जीएसटी पंजीकरण (Goods & Services Tax Registration)
एकल स्वामित्व वाली व्यापारी पध्दत में तिसरा सबसे महत्वपूर्ण है जीएसटी पंजीकरण, जीएसटी ने कई अप्रत्यक्ष करों जैसे सेवा कर, मूल्य वर्धित कर, केंद्रीय बिक्री कर, उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त सीमा शुल्क, और इसी तरह की जगह ले ली है। यदि व्यापारी को अपने वस्तू व सेवा को बढाना है तो ऐसे में उसे जीएसटी पंजीकरण करवाना बेहतर पर्याय है। ऐसे में भारत सरकार ने वस्तुओं और सेवाओं की अंतरराज्यीय आपूर्ति करने वाले और जिन भी व्यापारी का वार्षिक 40 लाख रुपये से अधिक का कारोबार हो ऐसे व्यक्ती या व्यापारी को जीएसटी पंजीकरण प्राप्त करणा अनिवार्य होता है।
जीएसटी पंजीकरण प्राप्त करना व्यवसाय को कानूनी रूप से सेवाओं या वस्तुओं के आपूर्तिकर्ता के रूप में मान्यता देता है। छोटे व्यवसाय भी कर दरों को कम करने के लिए कंपोजिशन स्कीम का विकल्प चुन सकते हैं। जिससे कराधान और अनुपालन का बोझ काफी कम हो गया है। कुछ व्यवसायों के लिए जीएसटी पंजीकरण प्राप्त करना अनिवार्य है। जीएसटी अधिनियम के अनुसार, यदि कोई व्यवसाय बीए जीएसटी पंजीकरण के बिना चल रहा है तो उस व्यावसायिक को दंड लागू होता है।
एफएसएसएआई पंजीकरण (FSSAI Registration)
एकल स्वामित्व वाली व्यापारी पध्दत में एक और सबसे महत्वपूर्ण है FSSAI पंजीकरण जिसे हम (Food Safety and Standards Authority of India) के नाम से जाणते है। FSSAI पंजीकरण भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण से मालिक के नाम पर प्राप्त किया जाना चाहिए यदि वह खाद्य उत्पादों की बिक्री या खाद्य उत्पादों को संभालने में शामिल है।
एफएसएसएआई पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेजों की एक सूची यहां दी गई है:
- खाद्य व्यवसाय संचालक का फोटो
- राशन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, आधार कार्ड, वरिष्ठ नागरिक कार्ड, विभाग द्वारा जारी आईडी जैसे पहचान प्रमाण के लिए दस्तावेज।
सहायक दस्तावेज (यदि कोई हो):- नगर पालिका या पंचायत द्वारा एनओसी, स्वास्थ्य एनओसी।
एकल स्वामित्व पंजीकरण प्राप्त करने के लिए चेकलिस्ट निम्नलिखित है।
- दुकान और स्थापना अधिनियम के तहत नगरपालिका अधिकारियों द्वारा एक प्रमाण पत्र जारी किया जाता है।
- पंजीकरण या लाइसेंसिंग दस्तावेज केंद्र सरकार या राज्य सरकार के प्राधिकरण या विभाग द्वारा स्वामित्व वाली संस्था के नाम पर जारी किया जाता है।
- एकमात्र मालिक के नाम पर पूर्ण कर रिटर्न जहां फर्म की आय आयकर अधिकारियों द्वारा विधिवत प्रमाणित और स्वीकार की जाती है,
- मालिकाना प्रतिष्ठान के नाम पर बिजली, पानी और लैंडलाइन टेलीफोन बिल जैसे उपयोगिता बिल।
- जीएसटी पंजीकरण या प्रमाण पत्र जारी करना।
एकल स्वामित्व (SoleProprietorship) में पंजीकरण करने के क्या लाभ हैं? What are the benefits of registering as a proprietorship firm?
प्रोपराइटरशिप फर्म के रूप में पंजीकरण कराने के कई कारण हैं। उनमें से कुछ यहां हैं:
- पूर्ण नियंत्रण- प्रोपराइटरशिप फर्मों का स्वामित्व और संचालन सिर्फ एक व्यक्ति के पास होता है। मालिक के पास पूर्ण अधिकार है और वह सभी प्रकार के निर्णय ले सकता है यदि कोई भी निर्णय लेना हो तो उस पर किसी भी भागीदार का कोई भी प्रकार का दबाव नही होता है
- आसान सेटअप- चूंकि व्यवसाय शुरू करने के लिए किसी भी ज्यादा तरह के पंजीकरण की आवश्यकता नहीं है, कोई भी एक प्रोपराइटरशिप व्यवसाय ग्राहकों से बहुत आसानी से पैसे का भुगतान करना और पैसे प्राप्त कर सकता है
- आसान अनुपालन- प्रोपराइटरशिप व्यवसाय का महत्वपूर्ण लाभ यह है कि इसे ज्यादातर मामलों में किसी अतिरिक्त अनुपालन (Compliance) की आवश्यकता नहीं होती है।
- प्रोपराइटर और प्रोपराइटरशिप का पैन कार्ड नंबर एक ही होता है।
- इसलिए, ज्यादातर मामलों में, हर साल केवल ITR3 के रूप में आयकर रिटर्न ही दाखिल किया जाना चाहिए।
- विघटन (Dissolution) – यदि किसी व्यक्ति को अपना व्यवसाय परिचालन बंद करना है, तो उसे किसी भी बडे कंपनी के जैसे बंद करने की आवश्यकता नहीं होती है। यह उस व्यक्ती का निस्संदेह समय बचाता है।
- कम निवेश की आवश्यकता है- भारत में एकल स्वामित्व पंजीकृत करने के लिए बहुत कम निवेश की आवश्यकता होती है। इसलिए, जो कोई भी कम फंड के साथ व्यवसाय शुरू करना चाहता है, वह प्रोपराइटरशिप व्यवसाय के लिए जा सकता है क्योंकि इसमें कोई ज्यादा निवेश शामिल नहीं होता है।
- सार्वजनिक रूप से जानकारी का खुलासा नहीं किया जाता है- प्रोपराइटरशिप फर्मों की वित्तीय रिपोर्ट एलएलपी की तरह सार्वजनिक नही कि जाती है, जहां दुसरे प्रकार के व्यवसाय जैसे Pvt Ltd. Company के वित्तीय विवरण सार्वजनिक किए जाते हैं।
एकल स्वामित्व (SoleProprietorship) में पंजीकरण करने के बाद इसके कौन कौन से अनुपालन (Compliance) होते है
एकल स्वामित्व (Sole Proprietorship) वाली फर्मों के निगमन के बाद के अनुपालन क्या हैं?
यदि आपने अपना एकल स्वामित्व (Sole Proprietorship) व्यवसाय पंजीकरण पूर्ण कर लिया है और आप आगे का सोच रहे है तो ऐसे में आपको भारत में पंजीकृत प्रोपराइटरशिप को अपना वार्षिक आयकर रिटर्न दाखिल करना आवश्यक है। चूंकि प्रोपराइटर और प्रोपराइटरशिप समान हैं, इसलिए प्रोपराइटर और प्रोपराइटरशिप के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग समान है।
आयकर अधिनियम के तहत, 60 वर्ष से कम आयु के सभी मालिक आईटीआर तभी दाखिल करेंगे जब आपकी कुल आय 2.5 लाख रुपये से अधिक हो। यदि मालिक 60 वर्ष से अधिक और 80 वर्ष से कम है, तो उसे केवल तभी आईटीआर दाखिल करना चाहिए जब उसकी आय 3 लाख रुपये से अधिक हो। 80 वर्ष से अधिक आयु के मालिकों को आयकर दाखिल करना आवश्यक है यदि आय 5 लाख रुपये से अधिक है।
एकल स्वामित्व (Sole Proprietorship) वाली फर्मों के लिए लेखा परीक्षण
यदि जिस किसी भी व्यवसाय की बिते वित्तीय वर्ष में सालाना कुल बिक्री 1 करोड़ या उससे अधिक हो ऐसे में उस फर्म को अपने सभी दस्तावेजो का लेखापरीक्षण (Audit) करवाना अनिवार्य होता है।
और यदि कोई एक पेशेवर (Professional) को वित्तीय वर्ष के आकलन के दौरान कुल सकल उत्पन्न 50 लाख रुपये से अधिक होने पर एक ऑडिट आवश्यक है।
इसके अलावा, किसी भी स्वामित्व वाली फर्म के लिए एक अनुमानित कराधान योजना के तहत एक ऑडिट की आवश्यकता होती है, भले ही टर्नओवर के बावजूद दावा की गई आय योजना के तहत कम हो।
प्रोपराइटरशिप फर्मों के लिए आईटीआर (Income Tax Return)
प्रोपराइटरशिप फर्मों को Income tax Department द्वारा निर्धारित फॉर्म आईटीआर-3 या फॉर्म आईटीआर-4 सुगम दाखिल करना आवश्यक है।
फॉर्म आईटीआर-3
फॉर्म ITR-3 वो दाखील करवा सकते है जो की एक प्रोपराइटर फर्म हो या फिर एक हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) ऐसे में इनके द्वारा दाखील किया जा सकता है।
फॉर्म आईटीआर-4-सुगम
फॉर्म आईटीआर-4-सुगम एक मालिक द्वारा दाखिल किया जा सकता है जो की अनुमानित कराधान योजना (Section 44AD) के तहत आयकर का भुगतान करना चाहता है। अनुमानित कराधान योजना जिसे Presumptive Taxation Scheme) भी कहा जाता है जिसे भारत सरकार द्वारा एक ऐसी Scheme है जिससे छोटे व्यापारियो को अपने व्यवसाय की कुल आय पर एक निर्धारित Profit मार्जिन रखकर उसके अनुसार Tax देना होता है इससे छोटे व्यवसायों के अनुपालन (Compliance) के बोझ को कम करने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
एकल स्वामित्व (Sole Proprietorship) वाली फर्मों का बैंक अकाउंट कैसे खोलें? How to Open Sole Proprietorship Bank Account?
भारतीय रिज़र्व बैंक ने एकल स्वामित्व (Sole Proprietorship) के नाम पर चालू खाता खोलने के लिए अपने बैंक को ग्राहको की जानकारी (केवाईसी) के मानदंड निर्धारित किए गये हैं और सभी बैंकों के पास व्यवसाय करणे के नाम पर एकल स्वामित्व (Sole Proprietorship) का चालू खाता (Current Account) खोलने की प्रक्रिया कि गयी है। आरबीआई ने व्यापक रूप से बैंकों द्वारा एकमात्र स्वामित्व (Sole Proprietorship) चालू खाता खोलने के लिए केवाईसी मानदंडों को अपनाए जाने के लिए निर्धारित भी किया है:
- व्यवसाय या संस्था के नाम, पते और गतिविधि का प्रमाण: व्यवसाय या संस्था के नाम, पते और गतिविधि का प्रमाण, जैसे पंजीकरण प्रमाण पत्र (पंजीकृत प्रतिष्ठान के मामले में), दुकान और प्रतिष्ठान के तहत नगरपालिका अधिकारियों द्वारा जारी प्रमाण पत्र / लाइसेंस अधिनियम, बिक्री और आयकर रिटर्न, जीएसटी प्रमाण पत्र, बिक्री कर / व्यावसायिक कर अधिकारियों द्वारा जारी प्रमाण पत्र / पंजीकरण दस्तावेज, पंजीकरण प्राधिकरण द्वारा जारी लाइसेंस जैसे भारतीय चार्टर्ड एकाउंटेंट्स संस्थान, भारत के लागत लेखाकार संस्थान द्वारा जारी अभ्यास प्रमाण पत्र, भारतीय कंपनी सचिव संस्थान, भारतीय चिकित्सा परिषद, खाद्य एवं औषधि नियंत्रण प्राधिकरण, आदि।
- द्वितीयक प्रमाण (Secondary Proof) : केंद्र सरकार या राज्य सरकार के प्राधिकरण/विभाग द्वारा स्वामित्व वाली संस्था के नाम पर जारी किया गया कोई भी पंजीकरण/लाइसेंस दस्तावेज। एनबीएफसी/आरएनबीसी खाता खोलने के लिए पहचान दस्तावेज के रूप में डीजीएफटी के कार्यालय द्वारा मालिकाना प्रतिष्ठान को जारी आईईसी (आयातक निर्यातक कोड) को भी स्वीकार कर सकते हैं।
- एकल स्वामित्व (Proprietorship) के नाम पर संपूर्ण आयकर विवरण (सिर्फ पावती नहीं) जहां फर्म की आय लिखी होती है, और उसपर आयकर अधिकारियों द्वारा विधिवत प्रमाणित/स्वीकृत किया गया हो।
- मालिकाना संस्था के नाम पर बिजली, पानी और लैंडलाइन टेलीफोन बिल जैसे उपयोगिता बिल।
- उपरोक्त में से कोई भी दो दस्तावेज एकल स्वामित्व (Proprietorship) के नाम से चालू खाता खोलने के लिए पर्याप्त होंगे। आरबीआई केवाईसी मानदंडों में यह भी उल्लेख है कि ये दस्तावेज प्रोपराइटरशिप के नाम पर होने चाहिए।
एकल स्वामित्व (Sole Proprietorship) का बैंक खाता खोलने के लिए कौन कौन से आवश्यक दस्तावेज की जरुरत होती है?
उपरोक्त आरबीआई दिशानिर्देशों के आधार पर, विभिन्न बैंकों ने एकल स्वामित्व (Sole Proprietorship) वाली फर्म के नाम पर एक चालू खाता खोलने के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं और दस्तावेजों की सूची बनाई है।
प्रथम एकल स्वामित्व (Sole Proprietorship) प्रमाण (निम्नलिखित दस्तावेजों में से कोई एक)
- संस्था/फर्म के नाम पर स्थानीय/राज्य/केंद्र सरकार/सरकारी एजेंसी/सेबी/आईआरडीए/आईसीएआई/आईसीएसआई/आईसीडब्ल्यूएआई/भारत के समाचार पत्रों के रजिस्ट्रार के कार्यालय द्वारा पंजीकरण/संचालन/व्यापार लाइसेंस/व्यवसाय के लिए जारी कोई प्रमाण पत्र। जैसे: बिक्री कर, टिन/टैन आदि।
- एपीएमसी/मंडी लाइसेंस/प्रमाण पत्र (APMC/ Mandi License/ Certificate)
- श्रम लाइसेंस/प्रमाण पत्र (Labour License/Certificate)
- पेशेवर कर पंजीकरण प्रमाणपत्र (Professional Tax Registration Certificate)
- व्यापार चिह्न पंजीकरण प्रमाणपत्र (Trade Mark Registration Certificate)
- शराब लाइसेंस/पंजीकरण प्रमाणपत्र (Liquor License/ Registration Certificate)
- ड्रग लाइसेंस (Drug License)
- अबकारी एवं सीमा शुल्क विभाग द्वारा जारी पंजीकरण प्रमाण पत्र (Registration Certificate issued by Excise & Customs Department.)
- कीटनाशक/कीटनाशक बेचने या बेचने या वितरित करने के लिए लाइसेंस/प्रमाणपत्र/स्टॉक/प्रदर्शनी (License/ Certificate to Sell/ Stock/ Exhibit for Sale or Distribute Insecticide/Pesticide)
- वजन और माप अधिनियम के तहत जारी पंजीकरण प्रमाण पत्र (Registration Certificate issued under Weight & Measurement Act)
- पुलिस विभाग की अनुमति/लाइसेंस/प्रमाण पत्र (Police Department Permission/License/Certificate)
- क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय परमिट/पंजीकरण प्रमाणपत्र (Regional Transport Office Permit/Registration Certificate)
- राज्य/केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी दस्तावेज के संचालन की सहमति (Consent to Operate document issued by State/Central Pollution Control Board)
- बिक्री कर पंजीकरण प्रमाणपत्र/टिन प्रमाणपत्र/जीएसटी पंजीकरण प्रमाणपत्र/टैन प्रमाणपत्र। (Sales Tax Registration Certificate/ TIN Certificate/ GST Registration Certificate/ TAN certificate.)
- वैध दुकानें और स्थापना प्रमाणपत्र/व्यापार लाइसेंस। इस तरह के प्रमाण पत्र में उल्लिखित नवीनीकरण के लिए वैधता को अनुग्रह अवधि तक बढ़ाया जा सकता है। (Valid Shops & Establishment Certificate/ Trade License. Validity can be extended up to the grace period for renewal as mentioned in such certificate.)
- आवंटित पते का उल्लेख करने वाली इकाई के नाम से एसईजेड, एसटीपी, ईएचटीपी, डीटीए और ईपीजेड द्वारा जारी प्रमाण पत्र।(Certificate Issued by SEZ, STP, EHTP, DTA and EPZ in the name of the entity mentioning the address allotted.)
- आयातक-निर्यातक कोड प्रमाणपत्र पैन कार्ड के साथ (यदि पैन आईईसी प्रमाणपत्र पर उद्धृत किया गया है)। (Importer–Exporter Code Certificate along with PAN Card (if PAN is quoted on the IEC Certificate)
- ग्राम पंचायत प्रमाण पत्र (लेटरहेड पर होना चाहिए और 3 महीने से अधिक पुराना नहीं होना चाहिए)। (Gram Panchayat Certificate (should be on letterhead and not more than 3 months old)
- संस्था के नाम पर व्यापार लाइसेंस।(Trade License in the name of the entity.)
- जिला उद्योग केंद्र (डीआईसी)/लघु उद्योग (एसएसआई) प्रमाणपत्र – डीआईसी/एसएसआई द्वारा जारी किया गया पावती भाग-II जिसमें एंटरप्रेन्योर का मेमोरेंडम नंबर होता है। जारीकर्ता प्राधिकारी द्वारा विधिवत मुद्रांकित और हस्ताक्षरित। (District Industries Center (DIC)/ Small Scale Industries (SSI) Certificate – Acknowledgment Part -II issued by DIC/ SSI containing Entrepreneur’s Memorandum Number. Duly stamped and signed by issuing authority.)
- संस्था के नाम पर कारखाना पंजीकरण प्रमाणपत्र।(Factory Registration Certificate in the name of the entity.)
- संस्था के नाम से सेबी पंजीकरण प्रमाणपत्र।(SEBI Registration Certificate in the name of the entity.)
- नगर निगम द्वारा जारी नामांकन/लाइसेंस/दुकान आवंटन पत्र का प्रमाण पत्र।(Certificate of enlistment/license/shop allotment letter issued by Municipal Corporation)
दूसरा एकल स्वामित्व (Sole Proprietorship) प्रमाण (निम्नलिखित दस्तावेजों में से कोई एक)
• कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के साथ फर्म का पंजीकरण। (Registration of firm with Employee Provident Fund Organization.)
• कर्मचारी राज्य बीमा निगम के साथ फर्म का पंजीकरण।(Registration of firm with Employee State Insurance Corporation.)
• पत्र या प्रमाण पत्र (लेटरहेड पर होना चाहिए और 3 महीने से अधिक पुराना नहीं होना चाहिए) अध्यक्ष / अध्यक्ष / सीईओ / नगर पंचायत / परिषद के प्रमुख द्वारा जारी किए गए व्यवसाय के अस्तित्व की पुष्टि करता है, न कि स्थानीय पार्षदों / नगरसेवकों द्वारा (Letter or Certificate (should be on letterhead and not more than 3-month-old) confirming existence of business issued by Chairman/ President/ CEO/ Head of the Nagar Panchayat/ Parishad, and not by local councilors/ corporators)
• विधिवत पावती फर्म के नाम पर पूर्ण बिक्री कर रिटर्न। और फर्म के नाम को दर्शाने वाले बिक्री कर विवरणी के भाग को स्वीकार करने वाले प्राधिकारी द्वारा विधिवत रूप से स्वीकार किया जाना चाहिए (Complete Sales tax return in the name of the firm duly acknowledged. Note: The portion of the sales tax return showing the name of the firm should be duly acknowledged by the accepting authority)
• फर्म के नाम पर अंतिम उपलब्ध आय/संपत्ति कर निर्धारण आदेश।(Last available Income/ Wealth Tax Assessment order in the name of the firm.)
• बिजली बिल की नवीनतम प्रति, जो 3 महीने से अधिक पुरानी न हो। (The latest copy of Electricity Bill, not more than 3 months old.)
• दूरसंचार ऑपरेटर से टेलीफोन बिल की नवीनतम प्रति, जो 3 महीने से अधिक पुरानी न हो।(The latest copy of Telephone Bill from Telecom operator, not more than 3 months old.)
• फर्म के पते की पुष्टि करने वाले नगर निगम/स्थानीय स्व-सरकारी निकायों द्वारा जारी प्रमाण पत्र।(Certificate issued by Municipal Corporation/ Local Self Government Bodies confirming the address of the firm.)
• नवीनतम गैस रसीद के साथ इकाई के नाम पर गैस कनेक्शन बुक की एक सच्ची प्रति, जो 3 महीने से अधिक पुरानी न हो या पाइप कनेक्शन के मामले में गैस बिल।(A true copy of gas connection book in the name of the entity along with the latest gas receipt, not more than 3 months old or Gas bill in case of pipe connection.)
• नगर निकाय/निगमों को भुगतान किया गया जल कर बिल, जो कर रसीद के साथ 6 महीने से अधिक पुराना न हो, फर्म के नाम होना चाहिए। (Water Tax bill paid to Municipal Body/ Corporations, not more than 6 months old along with the Tax receipt should stand in the name of the firm.)
• संपत्ति कर बिल बिल जारी होने की तारीख से एक वर्ष से अधिक पुराना नहीं होना चाहिए, साथ ही नगर निकाय/निगमों को भुगतान किए गए संपत्ति कर के लिए कर रसीदों के साथ। कर रसीद फर्म के नाम पर होनी चाहिए। (Property Tax bill should not be more than calendar one year old from the bill issuance date along with Tax receipts for property tax paid to Municipal Body / Corporations. The Tax receipt should stand in the name of the firm.) • वजन और माप अधिनियम के तहत जारी किया गया सत्यापन प्रमाण पत्र- इस दस्तावेज़ पर विचार नहीं किया जाएगा यदि उसी अधिनियम के तहत जारी पंजीकरण प्रमाण पत्र को प्रथम इकाई प्रमाण दस्तावेज़ के रूप में लिया गया है। (Certificate of Verification issued under Weight & Measurement Act–This document will not be considered if Registration Certificate issued under the same act has been taken as 1st entity proof document.)
एकल स्वामित्व (Sole Proprietorship) मालिक का पहचान प्रमाण (निम्नलिखित में से कोई एक)
• मालिक के नाम पर पैन कार्ड (अनिवार्य) (Pan card in the name of the Proprietor (Mandatory))
• पासपोर्ट (Passport)
• मतदाता पहचान पत्र (Voter Identity Card)
•ड्राइविंग लाइसेंस (Driving License)
• भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) द्वारा जारी आधार कार्ड (Aadhaar card)
• राज्य/केंद्र सरकार द्वारा जारी वरिष्ठ नागरिक कार्ड (Senior Citizen Card issued by State/Central Government)
• राज्य/केंद्र सरकार द्वारा जारी मछुआरा पहचान पत्र (Fisherman Identity card issued by State/Central Government)
• शस्त्र लाइसेंस (Arms License)
एकल स्वामित्व (Sole Proprietorship) मालिक एड्रेस प्रूफ (निम्नलिखित में से कोई एक)
• पासपोर्ट (Passport)
• मतदाता पहचान पत्र (Voter Identity Card)
•ड्राइविंग लाइसेंस (Driving License)
• भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) द्वारा जारी आधार कार्ड (Aadhaar card)
• राज्य/केंद्र सरकार द्वारा जारी वरिष्ठ नागरिक कार्ड (Senior Citizen Card issued by State/Central Government)
• राज्य/केंद्र सरकार द्वारा जारी मछुआरा पहचान पत्र (Fisherman Identity card issued by State/Central Government)
• शस्त्र लाइसेंस (Arms License)
• उपयोगिता बिल (बिजली बिल, टेलीफोन बिल) 3 महीने से अधिक पुराना नहीं है (Utility bills (Electricity bill, Telephone bill) not older than 3 months)
• जल कर बिल के साथ रसीद जो ६ महीने से अधिक पुरानी न हो (Water tax bill along with receipt not older than 6 months)
• कर भुगतान रसीदों के साथ एक वर्ष से कम पुराना संपत्ति कर बिल (Property Tax bill less than one-year-old along with Tax payment receipts)
• गैस आपूर्ति की रसीद के साथ उपभोक्ता गैस कनेक्शन कार्ड/पासबुक जो 3 महीने से अधिक पुरानी न हो (Consumer gas connection card/Passbook along with the receipt of gas supply not older than 3 months)
• पंजीकृत किराये के मकान का भाडेपट्टा करार और लाइसेंस समझौता, उपयोगिता बिल के साथ, जो मकान मालिक के नाम पर 3 महीने से अधिक पुराना न हो (Registered Lease & License Agreement along with utility bill not older than 3 months in the name of the landlord)
एकल स्वामित्व (Sole Proprietorship) के फायदे और नुकसान (Advantages and Disadvantages of Proprietorship)
एकल स्वामित्व दुनिया में व्यवसाय स्वामित्व का सबसे व्यापक रूप है। जैसा कि नाम से पता चलता है, यह एक प्रकार का व्यवसाय है जिसमें एक ही व्यक्ति व्यवसाय की संपत्ति और मामलों के स्वामित्व के साथ निहित होता है। तो चलो समझते है की क्या है एक प्रोपराइटरशिप फर्म के फायदे और नुकसान।
एकल स्वामित्व (Sole Proprietorship) फर्म के कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं।
स्थापित करने में आसान
एक एकल स्वामित्व वाले व्यवसाय में कोई विशिष्ट पंजीकरण आवश्यकता नहीं होती है और व्यवसाय द्वारा मालिक की कानूनी पहचान का उपयोग किया जाता है। इसलिए, बिना किसी पंजीकरण के एक स्वामित्व शुरू किया जा सकता है। व्यवसाय की पहचान बनाने और उसकी रक्षा करने के लिए प्रमोटर के पैन और आधार का उपयोग करके, उद्योग आधार पंजीकरण और ट्रेडमार्क पंजीकरण वैकल्पिक रूप से प्राप्त किया जा सकता है।
संचालित करने में आसान
चूंकि एक अकेला व्यक्ति मामलों के शीर्ष पर है, इसलिए इसे संचालित करना आसान है क्योंकि विशेष व्यक्ति एकमात्र निर्णय निर्माता होगा और उसे विचारों की अधिकता पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है। एक प्रोपराइटरशिप फर्म में बोर्ड की बैठक या अन्य व्यक्तियों से अनुमोदन की कोई आवश्यकता नहीं है।
लाभ का एकमात्र लाभार्थी
एकमात्र स्वामित्व और एक व्यक्ति कंपनी के अलावा कोई अन्य व्यवसाय मालिक को लाभ के एकमात्र लाभार्थी के रूप में हकदार नहीं बनाता है। अन्य सभी प्रकार की इकाई जैसे साझेदारी, एलएलपी या कंपनी में कम से कम दो व्यक्ति शामिल होते हैं।
अनुपालन और कराधान (Compliances & Taxation)
चूंकि एक प्रोपराइटरशिप फर्म कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय जैसे किसी भी सरकारी प्राधिकरण के साथ पंजीकृत नहीं है, इसलिए अनुपालन Compliance बहोत ही न्यूनतम होता हैं। इसके अलावा, मालिक को केवल आयकर रिटर्न दाखिल करना होगा यदि फर्म की कर योग्य आय 2.5 लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक है। पिछले वर्ष के दौरान 60 वर्ष या उससे अधिक की आयु प्राप्त करने वाले मालिकों के मामले में, आयकर दाखिल करने की आवश्यकता केवल तभी होगी जब कर योग्य आय 3,00,000 रुपये से अधिक हो। पिछले वर्ष के दौरान 80 वर्ष या उससे अधिक की आयु प्राप्त करने वाले मालिकों के मामले में, आयकर दाखिल करने की आवश्यकता केवल तभी होगी जब कर योग्य आय 5,00,000 रुपये से अधिक हो।
गोपनीयता (Privacy)
चूंकि एकमात्र स्वामित्व इकाई का एक अपंजीकृत रूप है, इसलिए सरकार द्वारा सभी स्वामित्व की सूची के साथ कोई डेटाबेस नहीं रखा जाता है। इसलिए, किसी कंपनी या एलएलपी की तुलना में प्रोपराइटरशिप फर्म अधिक निजी होती हैं, जिनका विवरण एमसीए वेबसाइट पर प्रकाशित नही होता है।
इसी के साथ एकल स्वामित्व (Sole Proprietorship) मालिक निम्नलिखित कटौतियों (Deduction) का लाभ उठाकर आयकर देयता को भी कम कर सकता है:
• भविष्य निधि में योगदान, जीवन बीमा प्रीमियम, कुछ इक्विटी शेयरों या डिबेंचर आदि की सदस्यता। (Contributions to provident fund, life insurance premium, subscription to certain equity shares or debentures etc)
• कतिपय पेंशन निधियों में अंशदान। (Contribution to certain pension funds)
• केंद्र सरकार की अधिसूचित पेंशन योजना में योगदान। (Contribution to notified pension scheme of the Central Government.)
• चिकित्सा बीमा प्रीमियम। (Medical insurance premium.)
• एक आश्रित की देखभाल करना जो विकलांग है। (Caring for a dependent who is ailing with disability.)
•चिकित्सा व्यय। (Medical expenses)
• उच्च शिक्षा के लिए लिए गए ऋण की अदायगी। (Repayment of loan availed for higher education)
• किराए का भुगतान। (Payment of rent.)
• रॉयल्टी से आय। (Income from royalty)
• पेटेंट पर रॉयल्टी। (Royalty on patents.)
• विकलांग व्यक्ति। (Handicapped persons)
एकल स्वामित्व (Sole Proprietorship) फर्म के कुछ प्रमुख नुकसान निम्नलिखित हैं।
एकल स्वामित्व वाली फर्म शुरू करने का निर्णय लेते समय निम्नलिखित नुकसानों को ध्यान में रखा जाना चाहिए:
असीमित दायित्व (Unlimited Liability)
यह एक एकल स्वामित्व वाली फर्म के सबसे परेशान करने वाले पहलुओं में से एक है। नुकसान की घटना पर, मालिक को किसी भी कीमत पर देनदारियों को पूरा करना होगा, जिसका अर्थ है कि यदि आवश्यकता होती है, तो देनदारियों के निर्वहन के लिए उसकी व्यक्तिगत संपत्ति का उपयोग भी करना पड़ सकता है।
धन प्राप्त करने में कठिनाई (Difficulty in Obtaining Funds)
एक एकल मालिक व्यावसायिक की सबसे मुश्कील कडी वो होती है जो उसे उस धंदे में लगने वाले पैसे की वजह से होती है जैसे कि किसी बडी कंपनी के शेयरों की बिक्री कर के जूटाई जा सके इसी प्रकार के फंडिंग की प्राप्ति से वंचित रहना पड सकता है। और बैंक भी एकल व्यावसायिक को लोन देणे में कभी कभी थोडा कतराती है कही ये दिवालीया ना हो जाये ऐसे में बैंक ने दिया लोन उसे वापस लेणे में दिक्कत आती है
उच्च कर घटना (Higher Tax Incidence)
प्रोपराइटरशिप फर्मों पर एक व्यक्ति के समान कर लगाया जाता है। इसलिए, एक प्रोपराइटरशिप फर्म के लिए आयकर की दर स्लैब पर आधारित होती है। हालांकि किसी कंपनी की तुलना में रु.10 लाख तक की आय के लिए आयकर की दर कम है, लेकिन एकल स्वामित्व (Proprietor) वाली फर्में एलएलपी या कंपनी द्वारा प्राप्त विभिन्न लाभों का आनंद नहीं ले सकती हैं। इसके अलावा, 10 लाख रुपये से अधिक की कर योग्य आय के लिए, एक प्रोपराइटरशिप फर्म के लिए आयकर की दर एक कंपनी की आयकर दर से अधिक है। इसलिए, लंबे समय में, आयकर देयता को कम करने के लिए व्यावसायिक को अपने व्यवसाय को कंपनी को पंजीकृत करना अधिक विवेकपूर्ण होगा।
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